नई सुबह

नई सुबह, नया दिन!

आज मै उत्सुक हूँ।
सुबह सुबह लोगों की चुस्ती फुर्ती देख कर।
बर्तनों की ढनमन और पानी की छप छपाहट सुन कर,
लोगों को बनठन के भीड़ भड़क्के में भागता हुआ देख कर।
चाहें पैसे कमाने का उल्लास हो या कोई मजबूरी,
सुबह की इस भगधड़ में जीने का जज़्बा तो बेशक नजर आता है।

आज मै उत्सुक हूँ,

उसी जज़्बा से जीने के लिए!
उत्सुक हूँ यह जानने के लिए,
की आज की सुबह मेरे लिए कैसी रात लाएगी?
मायूसी से भरी या चैन से सोने देने वाली?
मायूस राते लंबी लगती हैं और उन्हें काटना मुश्किल भी तो है।
जहाँ दीन आँख मूंदते निकल जाता है, वही रात बिताये हुए हर एक पल का हिसाब माँगती है।
आज मै रात को दिनभर का हिसाब देना चाहता हूँ।

आज मै उत्सुक हूँ। बस यूँही।
आखिर हर सुबह ऐसी चेतना थोड़े ही जगती है।

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